फतेहपुर : ऐतिहासिक व पौराणिक धरोहरों को समेटे है दोआब की धरती, ये स्थान हैं जिले की पहचान
उत्तर गंगा जी बहती हैं दक्षिण यमुना धारा,
पूर्व प्रयाग कानपुर पश्चिम, यह है जिला हमारा।
अंतर्वेद इसे कहते हैं यही पुरातन गाथा,
स्वतन्त्रता के संग्रामों में इसका ऊँचा माथा।
फतेहपुर सांस्कृतिक, ऐतिहासिक व पौराणिक धरोहरों को समेटे दोआब की इस माटी को जिले का दर्जा मिले 196 वर्ष पूरे हो गए। लगभग तीस लाख की आबादी वाले इस जनपद का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है। 10 नवंबर 1826 को इस जनपद का गठन हुआ था।
इतिहास पर गौर करें तो 1801 में लखनऊ के नवाब सिराजिद्दौला, शाह आलम व ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुई संधि में इलाहाबाद सूबा अंग्रेजों को सौंप दिया गया। प्रशासनिक व्यवस्था के लिए अंग्रेजों ने संयुक्त प्रांत आगरा-अवध गठित किया। इसके बाद कड़ा व कोड़ा सरकार (जिला) के चार चार मैहाल (तहसील) को मिलाकर जिले का खाका तैयार किया।
10 नवंबर 1814 को गंगा तट के भिटौरा गांव को सर्वे का हेड क्वार्टर बनाया गया, जिसमें अंग्रेज मजिस्ट्रेट चार्स जॉन मेडलिन व जिला जज मिस्टर जार्ज मुइनी ने चार्ज संभाला। 12 साल की कवायद के बाद फतेहपुर को मुख्यालय बनाकर 10 नवंबर 1826 को जनपद का पूर्ण गठन किया गया।
जिले के पहले मजिस्ट्रेट मिस्टर जार्ज अलमोनी व जज मिस्टर जार्ज फ्रांसिस नून बनाए गए। अंग्रेजों ने प्रशासनिक व्यवस्था के लिए अयाह-शाह, बिदकी, धाता, एकडला, फतेहपुर, गाजीपुर, हसवी, खागा, खखरेरू, कोड़ा, कोटिया, गुनीर, मुत्तौर टप्पाजार, कल्याणपुर को परगना का दर्जा दिया गया।
ये स्थान हैं जिले की पहचान
उत्तरवाहिनी गंगा का भिटौरा, ओम घाट, शिवराजपुर, आदमपुर, नौबस्ता घाट, 52 शहीदों की मूक गवाह पारादान की बावनी इमली, खागा में ठा. दरियाव सिंह स्मारक, सूर्य पुत्र अश्वनी कुमारों की नगरी असनी गांव, पुरातत्व की पहचान वाले रेंह, तेंदुली, खजुहा, लदिगवा आदि।
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