फतेहपुर Live : हैप्पी बड्डे वजाहत साहब! टीस बस इतनी है कि फतेहपुर में कोई दूसरा असगर वजाहत क्यों नहीं पनप सका?
किसी फतेहपुर जैसे पिछड़े जनपद के वासी होकर किसी असगर वजाहत से नाम जुड़ जाना अधिकांश जनपदवासियों के लिए जाने अनजाने गर्व का कारण स्वाभाविक होता ही है, लेकिन एक अहम सवाल पिछड़े जनपद का वासी होने के नाते हमेशा कहीं न कहीं खटकता ही है कि कोई दूसरा असगर वजाहत क्यों नहीं? आखिर साहित्यिक पुरोधाओं की लंबी फेहरिस्त के बाद आगे एक बड़ा शून्य क्यों? खैर यह चर्चा फिर कभी ..... अभी जानते हैं असगर वजाहत के रचना कर्म के बारे में, उनके जीवन संसार के बारे में....
असग़र वजाहत हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में मुख्यतः साठ के दशक के बाद वाली पीढ़ी के बाद के महत्त्वपूर्ण कहानीकार एवं सिद्धहस्त नाटककार के रूप में मान्य हैं। इन्होंने कहानी, नाटक, उपन्यास, यात्रा-वृत्तांत, फिल्म तथा चित्रकला आदि विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण रचनात्मक योगदान किया है।
असग़र वजाहत का जन्म 5 जुलाई 1946 को फतेहपुर, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम॰ए॰ तक की पढ़ाई की एवं वहीं से पी-एच॰डी॰ की उपाधि भी पायी। पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली से किया। 1971 से जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली के हिंदी विभाग में अध्यापन किया।
असगर वजाहत समकालीन हिंदी साहित्य के संवेदनशील गद्यकार रहे हैं। असगर वजाहत ने गद्य साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में साहित्य रचना की है। असगर वजाहत का साहित्य शिल्प विधान की दृष्टि से अत्यंत प्रौढ़ और गुणसंपन्न रहा है। असगर वजाहत के साहित्य में गहन आत्मानुभूति और सहज सुंदर अभिव्यक्ति का सहज समन्वय दिखाई देता है। असगर वजाहत के साहित्य में वर्तमान परिवेश से लेकर इतिहास के भोगे हुए यथार्थ की प्रधानता दिखाई देती है।
असगर वजाहत की विविध साहित्य कृतियों में भाव, भाषा, विषय और विविध युगीन स्थितियों का कलात्मकता से चित्र दिखाई देता है। शिल्प की दृष्टि से असगर वजाहत हमेशा प्रयोगशील रहे हैं। उनके साहित्य में कथा के चयन से लेकर भाषा के प्रयोग तक में प्रयोगशीलता का परिचय सहजता से देखा जा सकता है।
असग़र वजाहत उन विरले कहानीकारों में गिने जाते हैं जिन्होंने पूरी तरह अपनी प्रतिबद्धता बनाए रखते हुए भाषा और शिल्प के सार्थक प्रयोग किए हैं। उनकी कहानियाँ एक और आश्वस्त करती हैं कि कहानी की प्रेरणा और आधारशिला सामाजिकता ही हो सकती है तो दूसरी ओर यह भी स्थापित करती हैं कि प्रतिबद्धता के साथ नवीनता, प्रयोगधर्मिता का मेल संगत नहीं है। 'मास मीडिया' से आक्रांत इस युग में असग़र वजाहत की कहानियाँ बड़ी जिम्मेदारी से नई 'स्पेश' तलाश कर लेती हैं। राजनीति और मनोरंजन द्वारा मीडिया पर एकाधिकार स्थापित कर लेने वाले समय में असग़र की कहानियाँ अपनी विशेष भाषा और शिल्प के कारण अधिक महत्वपूर्ण हो गई हैं।
मूलतः और प्रथमतः असग़र वजाहत कहानीकार हैं। कहानी के बाद उन्होंने गद्य साहित्य की लगभग सभी विधाओं में लेखन किया और अपने लिए हमेशा नए प्रतिमान बनाए। अपने लिए जिस भी विधा को उन्होंने चुना वहाँ हमेशा पहले दर्जे की रचना संभव हुई।
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