Fatehpur Live : आजादी के फतेहपुरी नायक शहीद डिप्टी कलक्टर हिकमत उल्ला
फतेहपुर Live : फिरंगियों को खदेड़ 32 दिन तक चलाई थी स्वतंत्र सरकार, आज है आजादी के इस फतेहपुरी नायक का बलिदान दिवस
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा'
आजादी के फतेहपुरी नायक शहीद डिप्टी कलक्टर हिकमत उल्ला को याद कर बरबस यह मुंह से निकल जाता है।। 1857 की जंगे आजादी में जिले के नायक के रूप में उभरे इस प्रशासनिक अधिकारी ने उस समय अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया था। आज ही के दिन 12 जुलाई को सदर कोतवाली, फ़तेहपुर में क्रूर अंग्रेजों ने उनका सिर कलम करके टांग दिया था। आज भी उनकी याद में सदर कोतवाली में शहीद हिकमत उल्ला द्वार को देखा जा सकता है।
1857 की विद्रोह की चिंगारी ने जिले की अंग्रेजी हुकूमत को हिलाकर रख दिया था। खागा के ठाकुर दरियाव सिंह, बिठूर के नाना साहब, अवध के केशरी राणा बेनीमाधव सिंह ने गुप्त बैठकें कर जनपदों में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया। 4 जून को कानपुर और 7 जून को इलाहाबाद स्वतंत्र घोषित हो गए। इसके बाद 200 विद्रोहियों ने फतेहपुर में डेरा डाल दिया। 8 जून को ठाकुर दरियाव सिंह के सेनानायक व उनके पुत्र सुजान सिंह ने खागा के राजकोष में कब्जा कर लिया और स्वतंत्रता का ध्वज लहरा दिया।
बिठूर के नाना साहब के निर्देशन पर क्रांतिकारियों ने पहले खागा राजकोष पर अधिकार कर अंग्रेजों से सत्ता छीनी, फिर फतेहपुर में दबाव बनाया तो कलक्टर मि. टक्कर ने आत्महत्या कर ली। सरकारी बंगले को फूंकने के बाद क्रांतिकारियों ने जेल से कैदियों को मुक्त कराया और 9 जून को समूचे जनपद को स्वतंत्र घोषित कर दिया। 10 जून को विद्रोही जेल पहुंचे और बंदियों को मुक्त कराया।
बिठूर में नाना साहब को फतेहपुर के स्वतंत्र होने की जैसे ही खबर लगी, उन्होंने स्वतंत्र सरकार के चकलेदार (प्रशासक)के रूप में उस समय के डिप्टी कलक्टर हिकमत उल्ला खां को नियुक्त कर दिया। फतेहपुर व कानपुर में पूर्ण अधिकार मिलने की खुशी में बिठूर में तोपें दागी गई और क्रांतिकारियों ने सभी जिले के कोतवालों को यह हुक्म दिया कि नगर व गांवों में डुग्गी पिटवाकर यह बता दिया जाए कि अब अपनी सरकार है और एक माह तक जिले में स्वतंत्र सरकार चली।
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