फतेहपुर : ब्रिटिश काल में हिंदुस्तानियों पर अत्याचार करने वाले अंग्रेज अफसर थे तो कुछ अफसर ऐसे भी थे, जो सभी के दिल पर राज करते थे। ऐसे ही अफसरों में 1884 में फेडरिक सॉलमन ग्राउस जिले के कलक्टर बन कर आए। जिले के गौरव को बढ़ाने के साथ उन्होंने मंदिर, स्मारकों का जीर्णोद्धार किया और संस्कृत भाषा को बढ़ाने के लिए संस्कृत पाठशालाएं स्थापित कराई। रामचरित मानस का अंग्रेजी अनुवाद कर द रामायन ऑफ तुलसीदास लिखा।
भारतीय इतिहास, पुरातत्व व कला संगम में अभिरुचि रखने वाले कलक्टर ने अपने सृजनात्मक कार्यों से जिले के लोगों का मन को जीता था। इतिहासकार डॉ.ओपी अवस्थी बताते हैं कि जिले में आने के पहले फ्रेडरिक ने मथुरा में कलक्टर रहने के दौरान राजकीय संग्रहालय की स्थापना कराई थी। जिले में आने पर ऐतिहासिक व पुरातात्विक स्थलों का सर्वे कराया, प्राचीन स्मारकों का जीर्णोद्धार व कलाकृतियों, पुरावशेषों का संग्रह कराने का कार्य किया। फतेहपुर गजेटियर में प्रकाशित तथ्यों का पुर्नमूल्यांकन कराया। जिले के कुटीर उद्योगों को विकसित कराने के लिए नई तकनीक से जोड़ने व कारीगरों को प्रोत्साहित करने में अहम रोल अदा किया।
■ कला-संस्कृति को बढ़ाया
पर्व व मेलों को संरक्षित करने की दिशा में कलक्टर के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। नगर पालिका में पुरातत्व संग्रहालय स्थापित कर कलाकृतियों को राजकीय संरक्षण प्रदान किया। संग्रहालय के पीछे तालाब व उद्यान विकसित किया। उनके बारे में इतिहासकारों ने कहा कि वह एक समाजसेवी के रूप में कार्य करने वाले अधिकारी थे। भारतीय दर्शन व संस्कृति से गहरी अभिरुचि होने के कारण फ्रेडरिक ने मथुरा, बुलंदशहर, मैनपुरी, फतेहगढ़ में कलक्टर रहने के दौरान कला-संस्कृति को बढ़ाने का कार्य किया।
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