- साहित्य, संस्कृति व पुरातत्व का आइना बनेंगी 'अनुकाल'
- 8 फरवरी को है विमोचन @ कोटेश्वर इंटर कालेज, रमवाँ
- डा.ओमप्रकाश अवस्थी के संयोजकत्व में ' अनुकाल तैयार
- अनुवाक' के बाद निजी प्रयासों से जिले के संकलित इतिहास का दूसरा भाग
- अनुकाल के पहले खंड में पुरातत्व, इतिहास, मूर्तिकला के 29 लेख
- दूसरे खंड में अकबर के कार्यकाल से साहित्य के क्षेत्र में जिले की तस्वीर स्पष्ट की गई
- तीसरे व अंतिम खंड में संस्कृति एवं कला को पिरोया गया
संकलित इतिहास के अभाव से जूझ रहे जनपदवासियों के हाथ ‘अनुकाल’ का संग्रह जल्द ही आ जाएगा। तीन खंडों की इस पुस्तक में साहित्य, संस्कृति व पुरातत्व का आइना बनेंगी। पुस्तक का विमोचन आठ फरवरी को कोटेश्वर इंटर कालेज रमवां में इग्नू के इतिहास विद करेंगे। अक्षय साहित्य कला केंद्र शिक्षाविद डा.ओमप्रकाश अवस्थी के संयोजकत्व में 'अनुवाक' के बाद जिले के संकलित इतिहास का दूसरा भाग अनुकाल तैयार किया है।
महात्मा गांधी महाविद्यालय के सेवानिवृत हिंदी विभागाध्यक्ष श्री अवस्थी ने पत्रकार वार्ता में बताया कि अनुकाल के पहले खंड में पुरातत्व, इतिहास, मूर्तिकला के 29 लेख है, जिसका संपादन कृष्ण कुमार चौरसिया ने किया है। दूसरे खंड में अकबर के कार्यकाल से साहित्य के क्षेत्र में जिले की तस्वीर स्पष्ट की गई है, इसका संपादन श्रीकृष्ण कुमार त्रिवेदी ने किया है। तीसरे व अंतिम खंड में संस्कृति एवं कला को पिरोया गया है। संपादन डा.बालकृष्ण पांडेय ने करते हुए रामलीला व ताजियों के इतिहास को संकलित किया है। उन्होंने कहा कि पुस्तक को सर्वमान्य बनाने के लिए गजेटियर सहित अन्य प्राचीन दस्तावेजों को साक्ष्य बनाया गया है। संकलित इतिहास देकर उन्होंने जिले का कर्ज उतारने का प्रयास किया है।
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