पुर बुजुर्ग ,असोथर (फतेहपुर) में स्थित रहिमाल बाबा के आश्रम का शीघ्र कायाकल्प होगा। पुरातत्व विभाग इस प्राचीनतम आश्रम को अपने कब्जे में लेकर स्थलीय निरीक्षण करके राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया है।
असोथर थाना क्षेत्र की ग्रामसभा पुर बुजुर्ग के पश्चिम ससुरखदेरी नदी के किनारे करीब चालीस एकड़ भूखंड जो टीला के रूप में है। उसके मध्य एक प्राचीन मंदिर है। जो हजारों वर्ष पुराना बताया जाता है। यहां खंडित मूर्तियों के शिलाएं पड़ी हैं। मंदिर के अंदर विशाल शिव लिंग है जिसे स्वयंभू बताया जाता है। यहां की मूर्तियां बौद्धकालीन संस्कृति एवं कला मूर्तियों से मिलाप करती है। खजुराहो मंदिर जैसी सैकड़ों खंडित मूर्तियां पड़ी हैं। हालांकि इस मंदिर में ग्रामीण एवं ग्राम प्रधान चंदन सिंह पाल द्वारा नया निर्माण करवाया गया था। ग्रामीण बताते हैं कि सावन माह में इस आश्रम में रोने की आवाज पहले आती है फिर शंखनाद होता है।
असोथर के पूर्व ब्लाक प्रमुख सुधीर त्रिपाठी ने पांच वर्ष पूर्व पुरातत्व विभाग को पत्र लिखकर अश्वस्थामा आश्रम, बलभद्रस्वामी का आश्रम, बौंडर, जागेश्वर धाम, वुधरामऊ, रहिमाल बाबा के आश्रम को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में लिए जाने का आग्रह किया था। वहीं पुर बुजुर्ग के प्रधान चंदन सिंह पाल ने बताया कि वर्षो की मेहनत के बाद यह सफलता मिली है। उन्होंने बताया कि यहां का शिव लिंग स्वयंभू है। यहां अकूत संपत्ति दबी होने की चर्चा पूर्वज करते चले आये हैं। असोथर स्टेट से आश्रम तक सुरंग का जिक्र नागरिक करते हैं।
असोथर थाना क्षेत्र की ग्रामसभा पुर बुजुर्ग के पश्चिम ससुरखदेरी नदी के किनारे करीब चालीस एकड़ भूखंड जो टीला के रूप में है। उसके मध्य एक प्राचीन मंदिर है। जो हजारों वर्ष पुराना बताया जाता है। यहां खंडित मूर्तियों के शिलाएं पड़ी हैं। मंदिर के अंदर विशाल शिव लिंग है जिसे स्वयंभू बताया जाता है। यहां की मूर्तियां बौद्धकालीन संस्कृति एवं कला मूर्तियों से मिलाप करती है। खजुराहो मंदिर जैसी सैकड़ों खंडित मूर्तियां पड़ी हैं। हालांकि इस मंदिर में ग्रामीण एवं ग्राम प्रधान चंदन सिंह पाल द्वारा नया निर्माण करवाया गया था। ग्रामीण बताते हैं कि सावन माह में इस आश्रम में रोने की आवाज पहले आती है फिर शंखनाद होता है।
इस प्राचीन स्मारक में पुरातत्व विभाग लखनऊ की टीम आयी थी। टीम ने आश्रम का भौतिक सत्यापन करने के बाद विभाग का बोर्ड लगा दिया है और ग्राम प्रधान को भारत सरकार की नियमावली के प्रति देकर आगाह किया है कि यह आश्रम राष्ट्रीय धरोहर के रूप में विभाग ने लिया है। इसका शीघ्र जीर्णोद्धार होगा तथा भूमि का सीमांकन करवाकर बाउंड्रीवाल बनाया जाएगा। पुरातत्व विभाग के अधीक्षक पीडी मिश्रा ने बताया कि स्मारक का चरणबद्ध तरीके से विकास विभाग करवाएगा। बिना अनुमति के अब कोई भी उस स्थान से छेड़छाड़ नहीं करेगा।
असोथर के पूर्व ब्लाक प्रमुख सुधीर त्रिपाठी ने पांच वर्ष पूर्व पुरातत्व विभाग को पत्र लिखकर अश्वस्थामा आश्रम, बलभद्रस्वामी का आश्रम, बौंडर, जागेश्वर धाम, वुधरामऊ, रहिमाल बाबा के आश्रम को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में लिए जाने का आग्रह किया था। वहीं पुर बुजुर्ग के प्रधान चंदन सिंह पाल ने बताया कि वर्षो की मेहनत के बाद यह सफलता मिली है। उन्होंने बताया कि यहां का शिव लिंग स्वयंभू है। यहां अकूत संपत्ति दबी होने की चर्चा पूर्वज करते चले आये हैं। असोथर स्टेट से आश्रम तक सुरंग का जिक्र नागरिक करते हैं।
पुरातात्विक महाहत्व का स्थल लग रहा है ....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
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