लुप्तप्राय श्रेणी की मत्स्य डाल्फिन की फतेहपुर जिले में उपस्थिति का पता लगाया गया है।गंगा की मौजों में मस्ती कर रही यह मछलियां केवल जनपदीय क्षेत्र में बह रहे पानी में ही है। ज्ञान जी चाहे जो कहें वन विभाग के अनुसार पूरे मंडल के चार जनपदों में बह रही गंगा में केवल फतेहपुर क्षेत्र में ही मत्स्य की मौजूदगी दर्ज की गई है। वन विभाग ने इसके संरक्षण के लिये प्रस्ताव डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के लिये तैयार किया है।
जलीय पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान करने वाली डाल्फिन बड़ी संख्या में पाई गई है। शासन से मिले निर्देशों के आलोक में वन विभाग ने डाल्फिन की गंगा में उपस्थिति का पता लगाया फिर इनकी गणना की गई। प्रभागीय वन निदेशक संजीव कुमार द्वारा गठित की गई रेजरों की टीम ने कुल पांच रेजों में बह रही गंगा में इनकी गणना की। कुल छत्तीस स्थानों पर इनकी लोकेशन ली गई जिसमें तैंतीस जगहों पर मौजूद पाई गई।
स्थानीय बोली में सूंस, सुसु , साईस और सुसुक के नाम से जानी जाने वाली यह मछली इन जगहों में अकेले से लेकर दस तक के झुंड में देखी गई। अधिकांश जगहों में कई जोड़े एक साथ अठखेलियां करते देखे गये। खागा क्षेत्र के इजूरा ग्राम के पास केवट बस्ती के निकट दस और पहाड़पुर के पास नौ डाल्फिन एक साथ दिखे। पांचो टीमों ने अपने सर्वेक्षण में तैंतीस स्थानों में एक सौ चालीस मछलियां दर्ज की गई।
मछुवारों से खतरा - वन्य जंतु संरक्षण अधिनियम 1952 के तहत डाल्फिन को अनुसूची एक में लुप्तप्राय जीव की श्रेणी में रखा गया है। भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय जल जीव घोषित कर दिया गया है। न तो इसका शिकार किया जा सकता है और न ही दूसरे ढंग से ही हानि पहुंचाई जा सकती है। गंगीय डाल्फिन ताजे और स्वच्छ जल में रहती है। प्रदूषण से इसे हानि पहुंचती है। डीएफओ ने बताया कि वैसे तो इसका शिकार जनपद में नहीं होता है। पर नवजात बच्चों को मछुआरों के जाल से खतरा होता है। कई बार यह घायल हो जाते है और मर भी जाते है। उन्होंने मछुआरों को चेताया कि डाल्फिन के प्रति सचेत रह कर शिकार करे।
डाल्फिन के संरक्षण की जरूरत है। गंगा किनारे रहने वालों को इनके प्रति जागरूक करना होगा|
डॉल्फिन के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ खटखटायें|
(तथ्यात्मक खबर- साभार दैनिक जागरण)
ये भी नोट कर लिया.
जवाब देंहटाएंअरे वाह! बधाई हो!
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंअच्छी खबर -आभार !
जवाब देंहटाएंथोड़ा सुकून मिला।
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी , आभार !
जवाब देंहटाएंfatehpur me paanch saal rahe. vahan se iti,b.ed kiya. rajneetik va samajik kshetra se bhi jude rahe.achchha prayaas hai...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी आभार्
जवाब देंहटाएंप्रवीण जी बहुत ख़ुशी की खबर है | वन विभाग की विज्ञप्ति से अलग अतिशीघ्र 'मास्टर सा'ब' द्वारा खुद दर्शन कर सचित्र विवरण दिया जाएगा , उम्मीद है |
जवाब देंहटाएंअच्छी खबर है. वन विभाग की आँख खुल ही गयी है तो शायद उन्हें और जगहों पर भी सुसुक दर्शन लाभ हो जाए
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी दी आपने....
जवाब देंहटाएंसाफ़ पानी लायेगे कहां से?जिस मै यह सुरक्षित रह पायेगी, आप ने बहुत सुंदर जानकारी दी, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंवेसे हम ने तो यहा इस मच्छली को हाथ भी लगा रखा है ओर इस की थुथनी को प्यार से सहलाया भी है.
धन्यवाद
बहुत सुखद! यानी अवधेष और चिरंजीलाल सही कह रहे थे देखने के बारे में।
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट बहुत जमी।
Bahut achchhee aur rochak janakaree---
जवाब देंहटाएंPoonam