झण्डा गीत के रचयिता श्याम लाल गुप्त पार्षद की बुधवार को 112वीं जयंती मनायी गयी । उन्नीस वर्षो तक लगातार श्री गुप्त जिला कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। 1921 में जब आजादी का राष्ट्रीय आन्दोलन चरम पर था उस समय उन्होंने जिला कारागार की बैरिक नंबर नौ पर विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा गीत की रचना की थी।
कानपुर नगर के नर्वल गांव में 9 सितंबर 1896 में श्री पार्षद जी का जन्म हुआ। गणेश शंकर विद्यार्थी के संपर्क में आने के बाद श्री पार्षद कांग्रेस के नागपुर सम्मेलन में प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया वहीं पर उन्हें फतेहपुर जनपद में कांग्रेस का कार्य संभालने की जिम्मेदारी दे दी गयी।
आजादी के इस दीवाने ने 1921 में यह व्रत लिया था कि जब तक देश स्वतंत्र नहीं होगा वह नंगे पांव रहेंगे, धूप व बारिश में छाता नहीं लगाऊंगा और न ही कंधे पर अंगौछा रखूंगा। 21 अगस्त 1921 को पहली बार उन्हें राजा असोथर के महल में गिरफ्तार किया गया। 1924 में अंग्रेजों के विरुद्ध व्यंग्य रचना करने पर उन पर पांच सौ रुपये का जुर्माना किया गया। 1930, 1944 में उन्हें पुन: जेल जाना पड़ा। आजादी की लड़ाई में श्री पार्षद की कर्मभूमि जनपद ही रही। 1916 से 1946 तक स्वाधीनता संग्राम के आन्दोलन विशेषकर नमक सत्याग्रह व भारत छोड़ो में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभायी।
इतिहास के पन्नों में उस समय जनपद का नाम जुड़ गया जब उन्होंने चौक स्थित हजारी लाल फाटक में जनचेतना के लिए विजयी विश्व तिरंगा गीत रचना का मन बनाया। इसी दौरान उन्हें जेल भेज दिया गया। बैरिक नंबर 9 पर उन्होंने तीन रंगों के झंडे की शान को हर मन की तरंग से जोड़कर राष्ट्रीय चेतना लाने के लिए नौ पंक्तियों के झंडा गीत की रचना की। कामयाबी उस समय मिली जब 1925 में कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन में श्री पार्षद जी की रचना को झंडा गीत घोषित कर दिया गया।
15 अगस्त 1952 को लाल किला से श्री पार्षद जी ने इस झंडा गीत का गायन किया। 19 अगस्त 1972 को उन्हें इस गीत की रचना पर अभिनंदन व ताम्रपत्र प्रदान किया गया। छब्बीस जनवरी 1973 को श्री पार्षद जी को भारत सरकार द्वारा पद्म श्री की उपाधि से अलंकृत किया गया। जनपदवासियों को इस बात का फक्र है कि समूचे राष्ट्र को राष्ट्रीय झंडा गीत देने वाले श्री पार्षद जिले की माटी से जुड़े रहे। उन्हें पंडित मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल, गोविंद वल्लभ पंत जैसे नेताओं का सानिध्य प्राप्त हुआ।
आपलोगों को इस बात का फक्र होना ही चाहिए कि समूचे राष्ट्र को राष्ट्रीय झंडा गीत देने वाले श्री पार्षद आपके जिले की माटी से जुड़े रहे .. आपके आलेख को पढकर अच्छा लगा .. मेरे लिए तो बिल्कुल नई जानकारी रही !!
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