उमस के बीच बदली आयी, सूर्य की रोशनी भी कुछ धीमी हुई, लेकिन बारिश नहीं हुई। दिनभर सभी की निगाहें इन्द्रदेव पर टिकी रहीं कि शायद रहम हो जाये और अषाढ़ की झमाझम बारिश हो जाये। शुक्रवार को भी उमसभरी गर्मी कम नहीं हुई। बेहाली के आलम के बीच स्थिति यह रही कि कुछ अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खुले और आग उगलती धूप में बच्चे पढ़ने गये।
बारिश के लिए अब एक-एक दिन का इंतजार वर्षो का लग रहा है। जैसा कि उम्मीद थी कि तीन दिन से जिस तरह की उमस है बारिश होगी। शुक्रवार को कुछ मौसम का मिजाज भी बदला। तेज धूप धुंधली हुई और बदली के भी कुछ आसार दिखे। चेहरों में कुछ खुशियां आयीं कि बारिश होगी, लेकिन शाम तक न तो बारिश हुई और न ही उमस कम हुई। बच्चों से बड़ों तक को रुलाने वाली गर्मी कब थमेगी अब सबके मुंह से यही निकल रहा है कि प्रकृति का कहर तो जीने नहीं दे रहा है। बड़े-बड़े जब गर्मी से बेहाल हैं ऐसे में कुछ अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोल दिये गये हैं। मासूम बच्चे उमस के बीच कक्षाओं में पढ़ाई की और जब छुट्टी हुई तो घर पहुंचने में उनके चेहरे लाल हो गये। अभिभावकों ने मांग किया कि इस तरह की गर्मी में स्कूल बन्द कर दिये जायें। स्कूल के रिक्शे से जाते बच्चों को देखकर लोग यही कहते रहे कि अरे मासूमों पर तो रहम करें। इस तरह में पढ़ाई क्या होगी। स्कूलों की नाटकबाजी है। जब जून माह ग्रीष्मावकाश का है तो बीच में स्कूल कैसे खोल दिये गये।
बारिश के लिए अब एक-एक दिन का इंतजार वर्षो का लग रहा है। जैसा कि उम्मीद थी कि तीन दिन से जिस तरह की उमस है बारिश होगी। शुक्रवार को कुछ मौसम का मिजाज भी बदला। तेज धूप धुंधली हुई और बदली के भी कुछ आसार दिखे। चेहरों में कुछ खुशियां आयीं कि बारिश होगी, लेकिन शाम तक न तो बारिश हुई और न ही उमस कम हुई। बच्चों से बड़ों तक को रुलाने वाली गर्मी कब थमेगी अब सबके मुंह से यही निकल रहा है कि प्रकृति का कहर तो जीने नहीं दे रहा है। बड़े-बड़े जब गर्मी से बेहाल हैं ऐसे में कुछ अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोल दिये गये हैं। मासूम बच्चे उमस के बीच कक्षाओं में पढ़ाई की और जब छुट्टी हुई तो घर पहुंचने में उनके चेहरे लाल हो गये। अभिभावकों ने मांग किया कि इस तरह की गर्मी में स्कूल बन्द कर दिये जायें। स्कूल के रिक्शे से जाते बच्चों को देखकर लोग यही कहते रहे कि अरे मासूमों पर तो रहम करें। इस तरह में पढ़ाई क्या होगी। स्कूलों की नाटकबाजी है। जब जून माह ग्रीष्मावकाश का है तो बीच में स्कूल कैसे खोल दिये गये।
गर्मी की वजह से बोकारो के तो सारे स्कूल बंद कर दिए गए हैं।
जवाब देंहटाएंमाट्साब,
जवाब देंहटाएंबारिश के लिए अब टोटका का सहारा लेना ही पड़ेगा। वैज्ञानिक और ज्योतिषी दोनों वर्ग साफ साफ यह बताने में असफल रहा है कि आखिर कब ?
गर्मी तो पहले भी इस से ज्यादा पडती थी, लेकिन हम जेसे जेसे आज की सुबिधाओ की आदत डाल रहे है वेसे वेसे नाजूक होते जा रहे है,
जवाब देंहटाएंबरसात को तो आना चाहिये, लेकिन जरुर आयेगी, देर से ही सही. लेकिनायेगी जरुर