गंगा और यमुना के मध्य में स्थित मझिल्गावं का शिव मन्दिर पौराणिक महत्व का है । ऐसी मान्यता है कि रावण ने इस स्थान पर अपने हाथों से भगवान् शिव का लिंग स्थापित किया था । विलक्षण एक मुखी शिवलिंग के मस्तक भाग पर जटाजूट तथा पूर्ण खुली हुई गोल आँखे हैं , शिवमुख के मध्य भाग पर ॐ अंकित है । ब्राम्ही लिपि में लिखा पत्थर इसके नागवंशी काल में स्थापित होने का संकेत देता है । दिन में तीन बार शिवलिंग का रंग परिवर्तित होता है । ऐसी मान्यता है कि एक नाग शिवलिंग के प्रतिदिन दर्शन करने आता है , जिसे देखने की कोशिश जिस साधू ने की वह जीवित न रह सका ।
जय बाबा भोले नाथ की !
जवाब देंहटाएंआश्चर्यजनक. आपके क्षेत्र की ऐतिहासिक धरोहरों को उजागर करने का आभार.
जवाब देंहटाएंभोले की माया भोला ही जाने........
जवाब देंहटाएंरोचक ...
जवाब देंहटाएंरोचक जानकारी ।
जवाब देंहटाएंक्या ही अच्छा होता जो आप एक फोटो भी लगा देते ।
Waah Rochak jaankari di aapne.
जवाब देंहटाएंrochak jaankari..
जवाब देंहटाएंadbhut
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