शहर मुख्यालय से उत्तर दिशा में बारह किलोमीटर दूर उत्तरवाहिनी भागीरथी के तट पर महर्षि भृगु मुनि ने तपस्या की थी । पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भृगु मुनि की तपोस्थली में देवता भी परिक्रमा करने आए थे । पवित्र धाम गंगा महर्षि भृगु क्रोध में एक बार भगवान् विष्णु की छाती पर लात भी मारी थी । यहाँ पर अन्य आधा दर्जन मन्दिर बने हुए हैं ।
स्वामी विज्ञानानंद जी ने महर्षि भृगु की तपोस्थली में भगवान् शंकर की विशाल मूर्ति स्थापित कराई है , और नया पक्का घाट भी तैयार कराया है । भगवान् शंकर की मूर्ति पर ॐ नमः शिवाय का बारह वर्षों से अनवरत पाठ चल रहा है । उत्तर वाहिनी गंगा पूरे भारतवर्ष में मात्र तीन जगह है जिसमे हरिद्वार , काशी व भृगु धाम भिटौरा है
स्वामी विज्ञानानंद जी ने महर्षि भृगु की तपोस्थली में भगवान् शंकर की विशाल मूर्ति स्थापित कराई है , और नया पक्का घाट भी तैयार कराया है । भगवान् शंकर की मूर्ति पर ॐ नमः शिवाय का बारह वर्षों से अनवरत पाठ चल रहा है । उत्तर वाहिनी गंगा पूरे भारतवर्ष में मात्र तीन जगह है जिसमे हरिद्वार , काशी व भृगु धाम भिटौरा है
हाँ वाराणसी में भी गंगा उत्तरवाहिनी हो गयी हैं जहां वर्ष में एक विशाल मेला लगता है वैसे यह जगह काशी से करीब २० किमी दूर बलुआघाट में है जहाँ यूं पी निर्माण निगम एक विशाल पुल का आवागमन कर रहा है जो वाराणसी चंदौली और गाजीपुर को एक सीध में जोड़ देगा !
जवाब देंहटाएंइस सुन्दर जानकारी के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंसुन्दर जानकारी आभार.
जवाब देंहटाएंगंगा तो गंगा है ..उत्तर वाहिनी हो या नही. उसकी महत्ता वो ही बनी रहेगी ..जानकारी का धन्यवाद
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