गंगा के तट पर मोहन की बावरी मीरा ने अपने प्यारे कन्हैया की मूर्ति स्थापित की थी । शिवराजपुर के इस पावन स्थल पर कृष्ण भक्ति में लीन में मीरा काफी दिनों तक रुकी थी और अपने साथ लिए हुए गिरधर गोपाल की मूर्ति को उन्होंने रख दिया था । जब मीरा यहाँ से जाने लगी तो उन्होंने मूर्ति को साथ ले जाने का प्रयास किया , लेकिन जब मूर्ति अपने स्थान से नहीं उठी तो मीरा ने गंगा के इस तट पर गिरधर गोपाल की मूर्ति स्थापित कर कृष्ण - गान करते हुए चली गयी । गिरधर गोपाल का इस स्थान पर विशाल मन्दिर बना है और देश के कुछ शोधार्थी इस मूर्ति व स्थान पर शोध कर रहे हैं । प्रति वर्ष यहाँ सात दिनों तक चलने वाला मेला लगता है ।
यह शिवराजपुर कहाँ है
जवाब देंहटाएंअछि जानकारी लेकिन जैसा धीरू जी ने पूछा है, शिवराजपुर कहाँ है? इस तरह की महत्वपूर्ण प्रस्तुति सराहनीय तो है परन्तु बहुत ही संक्षिप्त जान पड़ती है. पढाई में भी आज कल ऑडियो विसुअल का जमाना है. चित्र का न होना खल रहा है. अन्यथा न लें. आभार.
जवाब देंहटाएंहमने गूगल बाबा से पूछा और ढूँढ निकला.. चित्र यहाँ पर है.
जवाब देंहटाएंhttp://fatehpur.nic.in/images/pict2.gif
बहुत अच्छी जानकारी !
जवाब देंहटाएंसुब्रमन्यम जी !! अन्यथा लेने का प्रश्न ही नहीं है .....चुकी यह ब्लॉग फतेहपुर से ही जुडा हुआ है तो निश्चित रूप से यह शिवराज पुर फतेहपुर जनपद में ही है .....जैसा की धीरू भाई ने भी पुछा है । दरअसल इस ब्लॉग से मई अपनी एक टीम बनने की कोशिश कर रहा हूँ .....जोकि फतेहपुर के सन्दर्भों में ऐतिहासिक व पौराणिक सन्दर्भों में रूचि लेकर इसे इन्टरनेट में उपलब्ध करा सके ........ चित्र तो सही है पर इसे अभी जान बूझ कर नहीं दिया है क्योंकि अभी समयाभाव में आज की हालात वाले चित्र मैं लगाना चाहता था ।
जवाब देंहटाएंआपके सुझाव से प्रेरणा के अतिरिक्त मैं कुछ नहीं लेता ........निश्चिंत रहे !!