असोथर कस्बा शहर मुख्यालय से दक्षिण दिशा की ओर तीस किलोमीटर दूर स्थित है । गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वस्थामा ने महाभारत काल में ब्रम्हास्त्र पाने के लिए यहीं पर आकर तपस्या की थी , तभी से इस बस्ती का नाम असुफल हो गया जो कालान्तर में असोथर के नाम से जाने जाना लगा । खीची वंश के राजाओं में राजा भगवंत राय ने अश्वस्थामा का मन्दिर बनवाया । ऐसी मान्यता है कि अश्वस्थामा अमर है और अपनी तपोस्थली में आज भी आते हैं । तभी तो समूचे क्षेत्र को अश्वस्थामा का मन्दिर आस्था और विश्वास में समेटे हुए है ।
इसकी ऐतिहासिकता का कोईप्रमाण हो तो कृपया उसका उल्लेख अवश्य कर दें .धन्यवाद
जवाब देंहटाएंभाई मास्टर साहिब जी
जवाब देंहटाएंबढ़िया जानकारी देने के लिए आभार.
बहत अच्छी जानकारी दी है
जवाब देंहटाएंजानकारी देने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंThanks for giving this great info....I really proud to be a part of Fatehpur.....
जवाब देंहटाएंjankari ke liye dhanyawad
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