दोआबा की इस पवित्र माटी में गंगा - यमुनी संस्कृति की अक्षुण विरासत आज भी कायम है । हजारों वर्ष पुराने इतिहास की मूक गवाह स्थल और खंडहर हमारे गौरव को बढ़ा रहे हैं ।
उत्तर गंगा जी बहती हैं दक्षिण यमुना धरा ,
पूर्व प्रयाग कानपुर पश्चिम , यह है जिला हमारा।
अंतर्वेद इसे कहते हैं यही पुरातन गाथा ,
स्वतन्त्रता के संग्रामो में इसका ऊँचा माथा।।
अलकनंदा व कालिंदी के इस पौराणिक व ऐतिहासिक भू-भाग में साहित्य और संस्कृति की अनेकानेक विभूतियों ने जन्म लिया है । स्वामी चंद दास जी , मुन्नू बाबा मझटेनी , मूलानंद जी महाराज रुरेश्वर आश्रम चुरियानी , स्वामी विज्ञानानंद जी महाराज , त्यागी जी महाराज , और परम पूज्य परमानंदजी महाराज जैसी आध्यात्मिक विभूतियाँ इस धारा की धरोहर है । साहित्यिक पुरोधाओं में हथगाम की माटी से जुड़े गणेश शंकर विद्यार्थी ,बिन्दकी के प. सोहन लाल द्विवेदी , असनी के अशोक बाजपेयी , लालीपुर के रमानाथ अवस्थी ,परसदेपुर के कन्हैया लाल नंदन , बकर गंज के असगर वजाहत , कलक्टरगंज के धनजय अवस्थी आदि ने अपनी रचनाओं से सामजिक क्रांती का विगुल फूंका । इसके आलावा अकबर के नौ रत्नों में शामिल रहे बीरबल का ननिहाल यमुना के किनारे एकड्ला में है । बिन्दकी तहशील में स्थित अरगल स्टेट का मुग़ल काल में प्रयाग से लेकर कन्नौज तक एक क्षत्र राज्य चलता था । बिजौली में चन्द्रगुप्त द्वितीय के समय की स्वर्ण मुद्राएँ व असनी के खंडहर की ईंटे गुप्तकालीन इतिहास की मूक गवाह हैं । आजादी के समय लगान का विरोध कर नोनारा अंग्रेजों की आँख की किरकरी बन गया था । लगान वसूलने गए एक अंग्रेज अफसर की ज्यादती पर ग्रामीणों ने उसे मौत के घाट उतार दिया था और उसके बाद अंगरेजी तांडव आज भी नोनारा की वीरता को बयां कर रहा है।
इस ऐतिहासिक जानकारी के लिए आभार. कृपया बताएं की फतेहपुर और फतेहपुर सिकरी क्या अलग हैं?
जवाब देंहटाएंfatehpur situted between two big cities one is U P industrial icon KANPUR and Educational Icon Allahbad.
हटाएंwhile fatepur sikhri near Agra
प्रणम्य धरती हैं यह !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी तरह लिखा है आपने .धन्यवाद .
जवाब देंहटाएंजी !! सुब्रमण्यम जी !!
जवाब देंहटाएंफतेहपुर सीकरी और फतेहपुर अलग अलग हैं ........ फतेहपुर सीकरी ... आगरा के पास स्थित उसी मुगलिया संस्कृति से जुडा हुआ है जबकि हमारा फतेहपुर कानपुर और इलाहाबाद के बीच स्थित है ....एक यही कोशिश है की फतेहपुर की साहित्यिक व एतिहासिक पहचान को एक अलग शक्ल दी जाए ..... यही मेरी कोशिश है !!!
धन्यवाद सभी का !!!