बोर्ड परीक्षा के इतिहास में शायद यह पहला मौका होगा जब परीक्षा के मात्र एक सप्ताह बचे हैं और शिक्षा विभाग को यह तक नहीं मालूम की किन केन्द्रों में परीक्षा करायी जानी है। प्रश्नपत्र व उत्तर पुस्तिकायें डंप पड़ी हैं। पचपन हजार छात्र-छात्राओं को अभी तक प्रवेश पत्र नहीं मिले हैं और न ही यह बताया जा रहा है कि कब मिलेंगे। यह तो वह जानते तक नहीं कि उन्हें किस केन्द्र में परीक्षा देने जाना होगा। न तो केन्द्र व्यवस्थापकों की तैनाती हो पायी और न ही कक्ष निरीक्षकों की सूची बनी है। ऐसी अव्यवस्था के बीच दो माह से शुरू होने वाली बोर्ड परीक्षा के लिये प्रधानाचार्य भी हाथ खड़े करने लगे हैं। उनका कहना है कि ऐनवक्त पर सभी व्यवस्थायें कर पाना मुश्किल है। वह यह स्वीकारते हैं कि इस बार परीक्षा अफरातफरी के माहौल पर होगी।
माध्यमिक शिक्षा परिषद की बोर्ड परीक्षा के लिये केन्द्रों का निर्धारण सामान्य तौर पर जनवरी माह के अंत तक तय हो जाता है। प्रधानाचार्यो की मानें तो बोर्ड परीक्षा के इतिहास में यह पहला मौका है जब परीक्षा के मात्र आठ दिन रह गये हैं और बोर्ड से केन्द्र की सूची नहीं मिली है। मुश्किल यह है कि बोर्ड ने प्रश्नपत्र पुरानी सूची के आधार पर भेज दिये हैं। संशोधित सूची में नये स्कूल बढ़ने के साथ ही कई स्कूलों में छात्र संख्या कम और ज्यादा होगी ऐसे में प्रश्नपत्र के बंडल या तो दोबारा मंगाये जायेंगे या फिर परीक्षा के दिन ही प्रश्नपत्र इधर से उधर किये जायेंगे। इस समस्या का समाधान कैसे होगा इसका जवाब शिक्षा विभाग के अधिकारी भी नहीं दे पा रहे हैं।
परीक्षा केन्द्रों का निर्धारण इस बार शुरू से ही विवाहित रहा। बोर्ड द्वारा कम्प्यूटराइज्ड व्यवस्था से किये गये निर्धारण में पहली सूची में इतनी खामियां आ गयी थीं कि प्रशासन को काफी तब्दीली के साथ दूसरी सूची भेजनी पड़ी। जिला समिति ने पहली सूची से डिबार केन्द्रों को हटाया। दूसरी सूची जब आयी तो प्रशासन को विधायक निधि के घोटाले में शामिल विद्यालयों की याद आयी फिर प्रशासन ने बोर्ड सचिव को पत्र भेजकर घोटाले के आठ विद्यालयों को हटाकर दूसरे नये शामिल करने का प्रस्ताव भेजा। बताते हैं कि उस प्रस्ताव में भी बोर्ड ने कुछ तब्दीली कर जो तीसरी सूची भेजी उसमें बोर्ड ने अपने ही मानकों की धज्जियां उड़ा दीं। सौ से कम छात्रों के कई केन्द्र जहां बना दिये वहीं तीन ऐसे केन्द्र बनाये जहां मानक एक हजार से अधिक यहां तक कि दो हजार परीक्षार्थी आवंटित कर दिये गये। बोर्ड को जब खामियों की जानकारी दी गयी तो नया प्रस्ताव मांगा और उस पर संशोधन कर चौथी सूची जारी करनी थी जो अभी तक नहीं मिली है।
पचपन हजार बोर्ड परीक्षार्थियों की स्थिति केन्द्र न तय होने से खराब होती जा रही है। छात्रों को दस किमी से तीस किमी दूर जाकर परीक्षा देनी है ऐसे में वह ठहरने आदि की व्यवस्था कैसे कर पायेंगे। बोर्ड परीक्षा की तैयारी करें या फिर वह प्रवेश पत्र के लिये विद्यालय के चक्कर काटें। स्कूलों में कक्षा दस व बारह के परीक्षार्थियों का विदाई समारोह कराया जा रहा है, लेकिन उन्हें अभी तक प्रवेश पत्र नहीं दिये गये हैं और प्रधानाचार्य यह बता पाने की स्थिति में भी नहीं हैं कि प्रवेश पत्र का वितरण किस तारीख को करेंगे। मजे की बात तो यह है कि नकल विहीन व शांतिपूर्ण परीक्षा कराने के बोर्ड के दिशा निर्देश भी फाइलों में डंप पड़े हैं। आखिर जब केन्द्र व्यवस्थापक ही नहीं तय हो पाये हैं तो किसे परीक्षा कराने के निर्देश दिये जायें। कक्ष निरीक्षक की ड्यूटी भी नहीं लग पायी है। स्कूलों में कापियां और प्रश्नपत्र कब पहुंचेंगे इसका भी सटीक जवाब अधिकारियों के पास नहीं है। जिला विद्यालय निरीक्षक प्रेम प्रकाश ने यह स्वीकार किया कि बोर्ड से केन्द्र तय न होने से कुछ दिक्कतें तो आ रही हैं उन्होंने कहाकि बोर्ड के जैसे निर्देश मिलेंगे उसी के अनुसार आगे की कार्यवाही की जायेगी। अभी वह कुछ कहने की स्थिति में नहीं है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद की बोर्ड परीक्षा के लिये केन्द्रों का निर्धारण सामान्य तौर पर जनवरी माह के अंत तक तय हो जाता है। प्रधानाचार्यो की मानें तो बोर्ड परीक्षा के इतिहास में यह पहला मौका है जब परीक्षा के मात्र आठ दिन रह गये हैं और बोर्ड से केन्द्र की सूची नहीं मिली है। मुश्किल यह है कि बोर्ड ने प्रश्नपत्र पुरानी सूची के आधार पर भेज दिये हैं। संशोधित सूची में नये स्कूल बढ़ने के साथ ही कई स्कूलों में छात्र संख्या कम और ज्यादा होगी ऐसे में प्रश्नपत्र के बंडल या तो दोबारा मंगाये जायेंगे या फिर परीक्षा के दिन ही प्रश्नपत्र इधर से उधर किये जायेंगे। इस समस्या का समाधान कैसे होगा इसका जवाब शिक्षा विभाग के अधिकारी भी नहीं दे पा रहे हैं।
परीक्षा केन्द्रों का निर्धारण इस बार शुरू से ही विवाहित रहा। बोर्ड द्वारा कम्प्यूटराइज्ड व्यवस्था से किये गये निर्धारण में पहली सूची में इतनी खामियां आ गयी थीं कि प्रशासन को काफी तब्दीली के साथ दूसरी सूची भेजनी पड़ी। जिला समिति ने पहली सूची से डिबार केन्द्रों को हटाया। दूसरी सूची जब आयी तो प्रशासन को विधायक निधि के घोटाले में शामिल विद्यालयों की याद आयी फिर प्रशासन ने बोर्ड सचिव को पत्र भेजकर घोटाले के आठ विद्यालयों को हटाकर दूसरे नये शामिल करने का प्रस्ताव भेजा। बताते हैं कि उस प्रस्ताव में भी बोर्ड ने कुछ तब्दीली कर जो तीसरी सूची भेजी उसमें बोर्ड ने अपने ही मानकों की धज्जियां उड़ा दीं। सौ से कम छात्रों के कई केन्द्र जहां बना दिये वहीं तीन ऐसे केन्द्र बनाये जहां मानक एक हजार से अधिक यहां तक कि दो हजार परीक्षार्थी आवंटित कर दिये गये। बोर्ड को जब खामियों की जानकारी दी गयी तो नया प्रस्ताव मांगा और उस पर संशोधन कर चौथी सूची जारी करनी थी जो अभी तक नहीं मिली है।
पचपन हजार बोर्ड परीक्षार्थियों की स्थिति केन्द्र न तय होने से खराब होती जा रही है। छात्रों को दस किमी से तीस किमी दूर जाकर परीक्षा देनी है ऐसे में वह ठहरने आदि की व्यवस्था कैसे कर पायेंगे। बोर्ड परीक्षा की तैयारी करें या फिर वह प्रवेश पत्र के लिये विद्यालय के चक्कर काटें। स्कूलों में कक्षा दस व बारह के परीक्षार्थियों का विदाई समारोह कराया जा रहा है, लेकिन उन्हें अभी तक प्रवेश पत्र नहीं दिये गये हैं और प्रधानाचार्य यह बता पाने की स्थिति में भी नहीं हैं कि प्रवेश पत्र का वितरण किस तारीख को करेंगे। मजे की बात तो यह है कि नकल विहीन व शांतिपूर्ण परीक्षा कराने के बोर्ड के दिशा निर्देश भी फाइलों में डंप पड़े हैं। आखिर जब केन्द्र व्यवस्थापक ही नहीं तय हो पाये हैं तो किसे परीक्षा कराने के निर्देश दिये जायें। कक्ष निरीक्षक की ड्यूटी भी नहीं लग पायी है। स्कूलों में कापियां और प्रश्नपत्र कब पहुंचेंगे इसका भी सटीक जवाब अधिकारियों के पास नहीं है। जिला विद्यालय निरीक्षक प्रेम प्रकाश ने यह स्वीकार किया कि बोर्ड से केन्द्र तय न होने से कुछ दिक्कतें तो आ रही हैं उन्होंने कहाकि बोर्ड के जैसे निर्देश मिलेंगे उसी के अनुसार आगे की कार्यवाही की जायेगी। अभी वह कुछ कहने की स्थिति में नहीं है।
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इस का सीधा मतलब है कि आप सब प्राईवेट स्कुलो मे दाखिला लो.... वाह री राजनीती.
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